रंगास्वामी सारंगन् | Rangaswamy Sarangan

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रंगास्वामी सारंगन का जन्म 1929 में तंजौर में हुआ था। 1952 में उन्होंने मद्रास कला-विद्यालय से ललित कला तथा व्यावसायिक कला में डिप्लोमा प्राप्त किया। 

सारंगन ने 1963 से एकल प्रदर्शनियों लगाना आरम्भ किया था दिल्ली, बम्बई, मद्रास, हैदराबाद के अतिरिक्त ब्रेडफोर्ड, सान फ्रांसिस्को आदि में भी उन्होंने कला-प्रदर्शनियों आयोजित की। 

उन्हें 1964 तथा 1971 में आइफैक्स का पुरस्कार एवं 1968 में अकादमी आफ फाइन आर्ट्स कलकत्ता का पुरस्कार प्राप्त हुआ । 

यूनाइटेड स्टेट्स इनफार्मेशन सर्विस द्वारा आयोजित स्मिथसोनियन छापा निर्माण कार्यशाला नई दिल्ली में भी उन्होंने भाग लिया था। वे दक्षिण भारत की सोसाइटी आफ पेण्टर्स तथा प्रोग्रेसिव पेन्टर्स एसोसियेशन मद्रास के भी सदस्य रहे हैं।

सारंगन धातु की चादर में गड्ढे डालकर विविध आलंकारिक आकृतियाँ बनाते हैं तथा स्थान-स्थान पर रंग भरते हैं। प्रायः पक्षी, मयूर तथा मन्दिर उनके प्रिय विषय रहे हैं। 

अपने तकनीक की आलंकारिक क्षमता का उन्होंने वैष्णव धर्म के प्रतीकों के अंकन में भरपूर उपयोग किया है जैसे, शंख, चक्र तथा पद्म

वे पहले केनवास पर कार्य करते थे किन्तु अब अल्म्यूनियम की चादर तथा काँच का प्रयोग करते हैं और उसी पर रंग तथा मारबिल का चूर्ण लगाते हैं। 

वैष्णव तिलक को उन्होंने पर्याप्त विविधता से चित्रित किया है उनकी आकृतियों में रेखाओं का लयात्मक प्रयोग है कभी-कभी वे रंगों तथा रंगीन मारबिल के चूर्ण से मणिक-कुट्टिम (मोजाइक ) के समान सुन्दर प्रभाव भी उत्पन्न कर देते हैं। उनके सभी चित्रों में एक समान पद्धति का प्रयोग है।

सारंगन के चित्र सरल लोक-शैली के समान आभासित होते हैं किन्तु हैं वे वास्तव में आधुनिक कोलाज चित्र धार्मिक वैष्णव प्रतीकों तथा आलंकारिक अभिप्रायों को वे ट्यूब में से बत्ती के समान निकाले गये रंग से धरातल पर उभरा हुआ ही रहने देते हैं। कुछ सपाट तलों को रंग से भर देते हैं और रेखाओं का भी प्रयोग सीमांकन में कर लेते हैं। 

अपने चित्रों को वे आलंकारिक पेनल से अधिक कुछ नहीं बनाते। तकनीक की विशिष्टता तथा वैष्णव प्रतीकों के प्रयोग के कारण ही उनकी कला का महत्व है। 

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    कालीघाट चित्रकला का नाम इसके मूल स्थान कोलकाता में कालीघाट के नाम पर पड़ा है। कालीघाट कोलकाता में काली मंदिर के पास एक बाजार है। ग्रामीण बंगाल के पटुआ चित्रकार 19वीं शताब्दी की … Read more
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    ग्राफिक चित्रकार कृष्ण रेड्डी का जन्म (1925 ) दक्षिण भारत के आन्ध्र प्रदेश में हुआ था। बचपन में वे माँ के साथ घूम-घूम कर ग्रामीण क्षेत्रों के दैनिक जीवन के … Read more
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    सुब्रमण्यन् (मनी) का जन्म (1824 ) केरल के पाल घाट में हुआ था। वे मद्रास चले गये और फिर बंगाल। वहाँ 1944 से शान्ति निकेतन में नन्दलाल बसु और विनोदबिहारी मुखर्जी … Read more
  • के० वेंकटप्पा | K. Venkatappa
    आप अवनीन्द्रनाथ ठाकुर के आरम्भिक शिष्यों में से थे। आपके पूर्वज विजयनगर के दरबारी चित्रकार थे विजय नगर के पतन के पश्चात् आप मैसूर राज्य में आ बसे थे आरम्भ … Read more
  • के० श्रीनिवासुल | K. Srinivasul
    कृष्णस्वामी श्री निवासुल का जन्म मद्रास में 6 जनवरी 1923 को हुआ था उनका बचपन नांगलपुरम् की प्राकृतिक सुषमा के मध्य बीता। उनके पिता को खिलौने बनाने तथा नाटकों में … Read more
  • के०सी० एस० पणिक्कर | K.C.S.Panikkar
    तमिलनाडु प्रदेश की कला काफी पिछड़ी हुई है। मन्दिरों से उसका अभिन्न सम्बन्ध होते हुए भी आधुनिक जीवन पर उसकी कोई छाप नहीं है। इसी प्रदेश के कायेम्बतूर नामक स्थान … Read more
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    क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार का जन्म 1891 ई० में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में निमतीता नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता श्री केदारनाथ मजूमदार जगताई में सब-रजिस्ट्रार थे।  क्षितीन बाबू … Read more
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  • गगनेन्द्रनाथ ठाकुर
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  • गणेश पाइन | Ganesh Pyne
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    नेपाल की चित्रकला में पहले तो पश्चिम भारत की शैली का प्रभाव बना रहा और बाद में उसका स्थान इस नव-निर्मित पूर्वीय शैली ने ले लिया नवम् शताब्दी में जिस नयी शैली का आविर्भाव हुआ था उसके प्रायः सभी चित्रों का सम्बन्ध पाल वंशीय राजाओं से था। अतः इसको पाल शैली के नाम से अभिहित करना अधिक उपयुक्त समझा गया।”
  • पी० टी० रेड्डी | P. T. Reddy
    पाकल तिरूमल रेड्डी का जन्म हैदराबाद (दक्षिण) से लगभग 108 मील दूर अन्नारम ग्राम में 15 जनवरी 1915 को हुआ था। बारह वर्ष की आयु में आपकी माता तथा अठाईस … Read more
  • प्रगतिशील कलाकार दल | Progressive Artist Group
    कलकत्ता की तुलना में बम्बई नया शहर है किन्तु उसका विकास बहुत अधिक और शीघ्रता से हुआ है। 1911 में अंग्रेजों ने भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली में स्थान्तरित … Read more
  • प्रागैतिहासिक कालीन भारतीय मूर्तिकला और वास्तुकला का इतिहास | History of Prehistoric Indian Sculpture and Architecture
    प्रागैतिहासिक काल (लगभग 3000 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व) पृष्ठभूमि भारतीय मूर्तिकला और वास्तुकला का इतिहास बहुत प्राचीन है, जो मानव सभ्यता के विकास से भी जुड़ा है। वस्तुतः … Read more
  • प्राचीन काल में चित्रकला में प्रयुक्त सामग्री | Material Used in Ancient Art
    विभिन्न प्रकार के चित्रों में विभिन्न सामग्रियों का उपयोग किया जाता था। साहित्यिक स्रोतों में चित्रशालाओं (आर्ट गैलरी) और शिल्पशास्त्र (कला पर तकनीकी ग्रंथ) का उल्लेख किया गया है।  हालांकि, … Read more
  • बंगाल का आरम्भिक तैल चित्रण | Early Oil Painting in Bengal
    अठारहवीं शती में बंगाल में जो तैल चित्रण हुआ उसे “डच बंगाल शैली” कहा जाता है। इससे स्पष्ट है कि यह माध् यम डच कलाकारों से बंगला कलाकारों ने सीखा … Read more
  • बंगाल स्कूल | भारतीय पुनरुत्थान कालीन कला और उसके प्रमुख चित्रकार | Indian Renaissance Art and its Main Painters
    बंगाल में पुनरुत्थान 19 वीं शती के अन्त में अंग्रजों ने भारतीय जनता को उसकी सास्कृतिक विरासत से विमुख करके अंग्रेजी सभ्यता सिखाने की चेष्टा की अंग्रेजों ने भारतीय कला … Read more
  • बम्बई आर्ट सोसाइटी | Bombay Art Society
    भारत में पश्चिमी कला के प्रोत्साहन के लिए अंग्रेजों ने बम्बई में सन् 1888 ई० में एक आर्ट सोसाइटी की स्थापना की। श्री फोरेस्ट इसके संस्थापक सचिव थे जो कि … Read more
  • बसोहली की चित्रकला
    बसोहली की स्थिति बसोहली राज्य के अन्तर्गत ७४ ग्राम थे जो आज जसरौटा जिले की बसोहली तहसील के अन्तर्गत आते हैं। जसरीटा जिला जम्मू की सीमा में है। अतः बसोहली … Read more
  • बी. प्रभा
    नागपुर में जन्मी बी० प्रभा (1933 ) को बचपन से ही चित्र- रचना का शौक था। सोलह वर्ष की आयु में उन्होंने नागपुर के कला-विद्यालय में प्रवेश लिया। और फिर जे० … Read more
  • बीरेश्वर भट्टाचार्जी | Bireshwar Bhattacharjee
    श्री वीरेश्वर भट्टाचार्जी का जन्म ढाका (अब बांग्लादेश) में 25 जुलाई 1935 को हुआ था। आरम्भिक शिक्षा स्थानीय रूप से प्राप्त करने के पश्चात् तथा भारत-पाकिस्तान विभाजन के पश्चात् गवर्नमेन्ट … Read more
  • भाऊ समर्थ | Bhau Samarth
    भाऊ समर्थ का जन्म महाराष्ट्र में भण्डारा जिले के लाखनी नामक ग्राम में 14 मार्च 1928 को हुआ था। बचपन से ही उन्हें चित्रकला का बहुत शौक था। वे छः … Read more
  • भारत में विदेशी चित्रकार | Foreign Painters in India
    आधुनिक भारतीय चित्रकला के विकास के आरम्भ में उन विदेशी चित्रकारों का महत्वपूर्ण योग रहा है जिन्होंने यूरोपीय प्रधानतः ब्रिटिश, कला शैली के प्रति भारतीय मानस में अधिकाधिक रुचि उत्पन्न … Read more
  • भारतीय कला संस्कृति एवं सभ्यता
    कला संस्कृति का यह महत्त्वपूर्ण अंग है जो मानव मन को प्रांजल सुंदर तथा व्यवस्थित बनाती है। भारतीय कलाओं में धार्मिक तथा दार्शनिक मान्यताओं की अभिव्यक्ति सरल ढंग से की … Read more
  • भारतीय चित्रकला | Indian Art
    परिचय टेराकोटा पर या इमारतों, घरों, बाजारों और संग्रहालयों की दीवारों पर आपको कई पेंटिंग, बॉल हैंगिंग या चित्रकारी दिख जाएँगी। ये चित्र हमारे प्राचीन अतीत और संस्कृति से जुड़े … Read more
  • भारतीय चित्रकला की विशेषताएँ
    भारतीय चित्रकला तथा अन्य कलाएँ अन्य देशों की कलाओं से भिन्न हैं। भारतीय कलाओं की कुछ ऐसी महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ हैं जो भारतीय-कलाओं को अन्य देशों की कलाओं से अलग कर … Read more
  • भारतीय चित्रकला के छः अंग | Six Limbs Of Painting
    षडंग चित्रकार अपने निरंतर अभ्यास के द्वारा अपने भावों सम्वेदनाओं तथा अनुभवों के प्रकाशन हेतु एक प्रविधि को जन्म देता है। किसी भी आकृति की रचना करते समय भारतीय चित्रकार … Read more
  • भारतीय चित्रकला में नई दिशाएँ
    लगभग 1905 से 1920 तक बंगाल शैली बड़े जोरों से पनपी देश भर में इसका प्रचार हुआ और इस कला-आन्दोलन को राष्ट्रीय कहा गया।  1920 के लगभग इस क्षेत्र में … Read more
  • भारतीय लघु चित्रकला की विभिन्न शैलियां | Different Styles of Indian Miniature Paintings
    भारतीय लघु चित्रकला जैन शैली पाल शैली (730-1197 ई०) अपभ्रंश शैली (1050-1550 ई०) (1) बड़ी और लम्बी आँखें तथा स्त्रियों की आँखों से कान तक गई काजल की रेखा। (2) … Read more
  • भूपेन खक्खर | Bhupen Khakhar
    भूपेन खक्खर का जन्म 10 मार्च 1934 को बम्बई में हुआ था। उनकी माँ के परिवार में कपडे रंगने का काम होता था। पिता की बम्बई के भूलेश्वर में कपड़े … Read more
  • मध्यकालीन भारत में चित्रकला | Painting in Medieval India
    दिल्ली में सल्तनत काल की अवधि के दौरान शाही महलों, शयनकक्षों और मसजिदों से भित्ति चित्रों के साक्ष्य मिले हैं। ये मुख्य रूप से फूलों, पत्तियों और पौधों को दर्शाते … Read more

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