सुरिन्दर के० भारद्वाज | Surinder K. Bhardwaj

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भारद्वाज का जन्म लाहौर में 20 अप्रैल 1938 को हुआ था। 1947 में भारत विभाजन के कारण उन्हें लाहौर छोड़ना पड़ा। कला में अभिरूचि होने के कारण उन्होंने 1955 में पंजाब स्कूल आफ आर्ट्स शिमला (अब चण्डीगढ़) में प्रवेश लिया और पांच वर्ष के उपरान्त सन् 1960 में ड्राइंग एण्ड पेण्टिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। 

इसके पश्चात् उन्होंने एक कलाकार बनने का लक्ष्य निर्धारित किया और कला के रहस्यों का गम्भीर अध्ययन किया। उन्होंने श्रीनगर (काश्मीर), अमृतसर, अम्बाला, नई दिल्ली, बम्बई, लन्दन तथा शरजाह में प्रदर्शनियों आयोजित की हैं तथा श्रीनगर, पटना, बंगलौर, मनाली एवं ग्वालियर के कलाकार कैम्पों में भाग लिया है। 

सन् 1988 ई० के ललित कला अकादमी नई दिल्ली के राष्ट्रीय पुरस्कार के अतिरिक्त उन्हें पंजाब ललित कला अकादमी, जम्मू तथा काश्मीर, हरियाणा तथा अम्बाला आदि में अनेक राज्य सरकारों के पुरस्कारों एवं प्रशंसा-पत्रों द्वारा सम्मानित किया गया है। 

उनके चित्र भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन कलकत्ता, अमर पैलेस संग्रहालय जम्मू, हरियाणा राजभवन, पंजाब विश्वविद्यालय संग्रहालय, ललित कला अकादमी नई दिल्ली आदि के संग्रह में हैं। 

सम्प्रति ये आदर्श महिला महाविद्यालय भिवानी (हरियाणा) में कला-विभाग के अध्यक्ष हैं।

सुरिन्दर भारद्वाज के तप पूर्ण जीवन का उनकी कला में भी प्रभाव आया है। उनकी प्रथम चित्र प्रदर्शनी 1960 में श्रीनगर (काश्मीर) में आयोजित हुई थी जिसमें हुसेन तथा कुलकर्णी जैसे श्रेष्ठ कलाकारों ने उनकी प्रशंसा की थी। 

सन् 1967 में ताज आर्ट गैलरी बम्बई में आयोजित उनकी प्रदर्शनी को देखकर के०एच० आरा भी अत्यन्त प्रभावित हुए थे। इस प्रकार कला जगत् में निरन्तर आगे बढ़ते हुए उन्होंने अपने लिये एक सम्मानपूर्ण स्थान बना लिया है।

आरम्भ में भारद्वाज लम्बी नारी आकृतियों के माध्यम से जीवन के हर्ष-विषाद का चित्रण करते थे। 

इन चित्रों की नारी आकर्षक और पुरुष के अवसादपूर्ण मन को सान्त्वना देने वाली शरण स्थली थी उदास तथा लम्बे पुरुष चेहरों को अपनी बाहों, कन्धों अथवा वक्ष स्थल का आश्रय प्रदान करने वाली, किन्तु स्वयं शून्य आकाश को एकटक निहारती हुई ।

इसके उपरान्त जम्मू के मन्दिरों के स्थापत्य से प्रभावित होकर उन्होंने नगर- दृश्यों का अंकन आरम्भ किया जिनमें भारतीय शैली की रेखा पर बल था। 

उनके नगर चित्रों में यह रेखा शनैःशनैः गहरी होती गयी किन्तु नवीनतम चित्रों में रेखा का स्थान वस्तु के संयोजनों ने ले लिया है। भारद्वाज के नगर-चित्र अमूर्त-संयोजन की ओर झुके हुए हैं। 

उनमें चित्र के विस्तार का विचार बहुत सोच-समझकर आकर्षक ढंग से व्यवस्थित किया गया है। उनके रंग भी प्रयाप्त प्रभावशाली हैं। 

उन्हें देखकर रामकुमार के अमूर्त नगर- दृश्यों का स्मरण हो आता है; किन्तु रामकुमार के नवीनतम दृश्यांकनों में जहाँ प्रकृति की अमूर्त शक्तिमत्ता का आभास होता है वहाँ भारद्वाज के चित्रों में उदास रंगों का प्रयोग न होते हुए भी आधुनिक शहरी जीवन की व्यस्तता, अव्यवस्था और निम्न तथा मध्यवर्गीय विषम परिस्थतियों और गरीबी का प्रतिबिम्ब भी झलकता है। 

उन्होंने चित्रों में अधिकांश खिड़कियों ही अंकित की हैं। कहीं-कहीं तो वे समाचार-पत्र के टुकड़े भी काट कर लगा देते हैं क्योंकि कई बार खिड़कियों के शीशे टूट जाने पर अक्सर कागज चिपका दिया जाता है। 

अपने चित्रों के द्वारा वे प्रायः तंग ढलवाँ गलियों का वातावरण प्रस्तुत करते हैं।

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  • जहाँगीर साबावाला | Jahangir Sabawala
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    कृष्णस्वामी श्री निवासुल का जन्म मद्रास में 6 जनवरी 1923 को हुआ था उनका बचपन नांगलपुरम् की प्राकृतिक सुषमा के मध्य बीता। उनके पिता को खिलौने बनाने तथा नाटकों में रूचि थी। इनका बालक श्रीनिवासुलु पर स्थायी प्रभाव … Read more
  • के० जी० सुब्रमण्यन् | K. G. Subramanian
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  • जोगेन चौधरी | Jogen Chaudhary
    जोगेन चौधरी का जन्म पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के फरीदपुर नामक गाँव में 19 फरवरी 1939 ई० को एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। उनकी कला-सम्बन्धी शिक्षा कालेज आफ आर्ट्स एण्ड क्राफ्ट्स कलकत्ता में हुई।  इसी अवधि में … Read more
  • जगन्नाथ मुरलीधर अहिवासी | Jagannath Muralidhar Ahivasi
    श्री अहिवासी का जन्म 6 जुलाई 1901 को ब्रज भूमि में गोकुल के निकट बल्देव ग्राम में हुआ था। जब आप केवल चार वर्ष के थे तभी आपकी माताजी का देहान्त हो गया। पिता की इच्छा थी कि … Read more
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    श्री परमानन्द चोयल का जन्म 5 जनवरी 1924 को कोटा (राजस्थान) में हुआ था। प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त कला में अभिरूचि होने के कारण 1946 में आपने कला तथा शिल्प महाविद्यालय जयपुर में टीचर्स ट्रेंनिग में … Read more
  • गणेश पाइन | Ganesh Pyne
    गणेश पाइन का जन्म 19 जून 1937 को कलकत्ता में हुआ था। उन्होंने कलकत्ता कला महाविद्यालय से 1959 में ड्राइंग एण्ड पेण्टिंग में डिप्लोमा परीक्षा उत्तीर्ण की।  1957 से ही वे प्रदर्शनियाँ आयोजित करने लगे थे और तब … Read more
  • रविशंकर रावल | Ravi Shankar Rawal
    आप गुजरात के प्रसिद्ध चित्रकार थे । आपने बम्बई में कला की शिक्षा ग्रहण की और वहां आप पर पाश्चात्य शैली का प्रभाव पड़ा। आगे चलकर आपने भारतीय शैलियों में प्रयोग किये और अपनी कला को भारतीयता की … Read more
  • बीरेश्वर भट्टाचार्जी | Bireshwar Bhattacharjee
    श्री वीरेश्वर भट्टाचार्जी का जन्म ढाका (अब बांग्लादेश) में 25 जुलाई 1935 को हुआ था। आरम्भिक शिक्षा स्थानीय रूप से प्राप्त करने के पश्चात् तथा भारत-पाकिस्तान विभाजन के पश्चात् गवर्नमेन्ट कालेज आफ आर्ट्स एण्ड क्राफ्ट्स पटना से आपने … Read more
  • ए० रामचन्द्रन | A. Ramachandran
    रामचन्द्रन का जन्म केरल में हुआ था। वे आकाशवाणी पर गायन के कार्यक्रम में भाग लेते थे। कुछ समय पश्चात् उन्होंने केरल विश्व विद्यालय से मलयालम में एम० ए० उत्तीर्ण किया।  फिर चित्रकला में रुचि के कारण आप … Read more
  • देवकी नन्दन शर्मा | Devki Nandan Sharma
    प्राचीन जयपुर रियासत के राज-कवि के पुत्र श्री देवकी नन्दन शर्मा का जन्म 17 अप्रैल 1917 को अलवर में हुआ था । 1936 में आपने महाराजा स्कूल ऑफ आर्ट जयपुर से कला का डिप्लोमा प्राप्त किया।  आप वनस्थली … Read more
  • अनुपम सूद | Anupam Sood
    अनुपम सूद का जन्म होशियारपुर में 1944 में हुआ था। उन्होंने कालेज आफ आर्ट दिल्ली से 1967 में नेशनल डिप्लोमा उत्तीर्ण किया। इसके पश्चात् कुछ समय तक पेण्टिंग भी की किन्तु धीरे-धीरे ग्राफिक माध्यम में उनकी रुचि बढ़ती … Read more
  • परमजीत सिंह | Paramjit Singh
    परमजीत सिंह का जन्म 23 फरवरी 1935 अमृतसर में हुआ था। आरम्भिक शिक्षा के उपरान्त वे दिल्ली पॉलीटेक्नीक के कला को विभाग में प्रविष्ट हुए जहाँ उन्होने शैलोज मुखर्जी से 1953 से 1958 तक कला की शिक्षा प्राप्त … Read more
  • बम्बई आर्ट सोसाइटी | Bombay Art Society
    भारत में पश्चिमी कला के प्रोत्साहन के लिए अंग्रेजों ने बम्बई में सन् 1888 ई० में एक आर्ट सोसाइटी की स्थापना की। श्री फोरेस्ट इसके संस्थापक सचिव थे जो कि 1891 तक इस पद पर रहे।  इस सोसाइटी … Read more
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  • के०सी० एस० पणिक्कर | K.C.S.Panikkar
    तमिलनाडु प्रदेश की कला काफी पिछड़ी हुई है। मन्दिरों से उसका अभिन्न सम्बन्ध होते हुए भी आधुनिक जीवन पर उसकी कोई छाप नहीं है। इसी प्रदेश के कायेम्बतूर नामक स्थान पर एक मध्यवर्गीय डाक्टर परिवार में पणिक्कर का … Read more
  • रवि वर्मा | Ravi Verma Biography
    रवि वर्मा का जन्म केरल के किलिमन्नूर ग्राम में अप्रैल सन् 1848 ई० में हुआ था। यह कोट्टायम से 24 मील दूर है। वे राजकीय वंश के थे और त्रावणकोर (तिरुवोंकुर) के प्राचीन राज-परिवार से सम्बन्धित थे। उनके … Read more
  • नारायण श्रीधर बेन्द्रे | Narayan Shridhar Bendre
    बेन्द्रे का जन्म 21 अगस्त 1910 को एक महाराष्ट्रीय मध्यवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पूर्वज पूना में रहते थे। पितामह पूना छोड़ कर इन्दौर चले आये और पिता श्रीधर बलवन्त बेन्द्रे इन्दौर के ब्रिटिश रेजीडेन्ट के … Read more
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    अपने आरम्भिक जीवन में “दत्तू भैया” के नाम से लोकप्रिय श्री देवलालीकर का जन्म 1894 ई० में हुआ था। वे जीवन भर कला की साधना में लगे रहे और अपना अधिकांश समय छात्रों की कलात्मक प्रतिभा के विकास … Read more
  • बी. प्रभा
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    आधुनिक भारतीय चित्रकला के विकास के आरम्भ में उन विदेशी चित्रकारों का महत्वपूर्ण योग रहा है जिन्होंने यूरोपीय प्रधानतः ब्रिटिश, कला शैली के प्रति भारतीय मानस में अधिकाधिक रुचि उत्पन्न कर दी थी।  भारत में विदेशी कलाकार प्राचीन … Read more
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    परिचय टेराकोटा पर या इमारतों, घरों, बाजारों और संग्रहालयों की दीवारों पर आपको कई पेंटिंग, बॉल हैंगिंग या चित्रकारी दिख जाएँगी। ये चित्र हमारे प्राचीन अतीत और संस्कृति से जुड़े हैं और उस समय के लोगों के जीवन … Read more
  • मिथिला चित्रकला | मधुबनी कला  | Mithila Painting
    मिथिला चित्रकला, जिसे मधुबनी लोक कला के रूप में भी जाना जाता है. बिहार के मिथिला क्षेत्र की पारंपरिक कला है। यह गाँव की महिलाओं द्वारा निर्मित की जाती है जो मिट्टी के रंगो के साथ वनस्पति रंग का उपयोग करके … Read more
  • डेनियल चित्रकार  | टामस डेनियल तथा विलियम डेनियल | Thomas Daniels and William Daniels
    टामस तथा विलियम डेनियल भारत में 1785 से 1794 के मध्य रहे थे। उन्होंने कलकत्ता के शहरी दृश्य, ग्रामीण शिक्षक, धार्मिक उत्सव, नदियाँ, झरने तथा प्राचीन स्मारक चित्रित किये। श्रीनगर गढ़वाल में उन्होंने रस्सी के पुल का चित्रण … Read more
  • प्राचीन काल में चित्रकला में प्रयुक्त सामग्री | Material Used in Ancient Art
    विभिन्न प्रकार के चित्रों में विभिन्न सामग्रियों का उपयोग किया जाता था। साहित्यिक स्रोतों में चित्रशालाओं (आर्ट गैलरी) और शिल्पशास्त्र (कला पर तकनीकी ग्रंथ) का उल्लेख किया गया है।  हालांकि, चित्रकारी में इस्तेमाल किए जानेवाले प्रमुख रंग थे … Read more
  • कालीघाट चित्रकारी | Kalighat Painting
    कालीघाट चित्रकला का नाम इसके मूल स्थान कोलकाता में कालीघाट के नाम पर पड़ा है। कालीघाट कोलकाता में काली मंदिर के पास एक बाजार है। ग्रामीण बंगाल के पटुआ चित्रकार 19वीं शताब्दी की शुरुआत में देवी-देवताओं की छवियाँ बनाने के लिए … Read more
  • आगोश्तों शोफ्त | Agoston Schofft
    शोफ्त (1809-1880) हंगेरियन चित्रकार थे। उनके विषय में भारत में बहुत कम जानकारी है। शोफ्त के पितामह जर्मनी में पैदा हुए थे पर वे हंगरी में बस गये थे। वहाँ पेस्ट नामक नगर में वे जिस गली में रहते … Read more
  • रमेश बाबू कन्नेकांति | Painting – Tranquility & harmony By Ramesh Babu Kannekanti
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  • सतीश गुजराल | Satish Gujral Biography
    सतीश गुजराल का जन्म पंजाब में झेलम नामक स्थान पर 1925 ई० में हुआ था। केवल दस वर्ष की आयु में ही उनकी श्रवण शक्ति समाप्त हो गयी थी।  आरम्भिक शिक्षा स्थानीय संस्थाओं में प्राप्त करते समय ही … Read more
  • रमेश बाबू कनेकांति | Painting – A stroke of luck By Ramesh Babu Kannekanti
    गणेश के हाथी के सिर ने उन्हें पहचानने में आसान बना दिया है। भले ही वह कई विशेषताओं से सम्मानित हैं, भगवान गणेश की व्यापक रूप से बाधाओं को मिटाने वाले, कला और विज्ञान के दाता और बुद्धि … Read more
  • आधुनिक काल में चित्रकला
    18वीं सदी के अंत और 19वीं सदी की शुरुआत में, चित्रों में अर्द्ध-पश्चिमी स्थानीय शैली शामिल हुई, जिसे ब्रिटिश निवासियों और आगंतुकों द्वारा संरक्षण दिया गया। चित्रों की विषयवस्तु आम तौर पर भारतीय सामाजिक जीवन, लोकप्रिय त्योहारों और … Read more
  • प्रगतिशील कलाकार दल | Progressive Artist Group
    कलकत्ता की तुलना में बम्बई नया शहर है किन्तु उसका विकास बहुत अधिक और शीघ्रता से हुआ है। 1911 में अंग्रेजों ने भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली में स्थान्तरित कर दी थी। 1933-34 में बंगाल में दुर्भिक्ष … Read more
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    शिव के चार हाथ शिव की कई शक्तियों को दर्शाते हैं। पिछले दाहिने हाथ में ढोल है, जो ब्रह्मांड के प्रकट होने पर आदिवासी ध्वनि का प्रतिनिधित्व करता है। पिछला बायां हाथ एक ज्वाला धारण करता है- विलोपन … Read more
  • मध्यकालीन भारत में चित्रकला | Painting in Medieval India
    दिल्ली में सल्तनत काल की अवधि के दौरान शाही महलों, शयनकक्षों और मसजिदों से भित्ति चित्रों के साक्ष्य मिले हैं। ये मुख्य रूप से फूलों, पत्तियों और पौधों को दर्शाते हैं। इल्तुतमिश (1210-1236) के समय के चित्रों के … Read more
  • रथीन मित्रा (1926)
    रथीन मित्रा का जन्म हावड़ा में 26 जुलाई को 1926 में हुआ था। उनकी कला-शिक्षा कलकत्ता कला-विद्यालय में हुई । तत्पश्चात् वेदून स्कूल के कला-विभाग में शिक्षक नियुक्त हुए और वहाँ अध्यक्ष पद पर आसीन हुए 1959 में … Read more
  • रामगोपाल विजयवर्गीय | Ramgopal Vijayvargiya
    पदमश्री रामगोपाल विजयवर्गीय जी का जन्म बालेर ( जिला सवाई माधोपुर) में सन् 1905 में हुआ था। आप महाराजा स्कूल आफ आर्ट जयपुर में श्री शैलेन्द्रनाथ दे के शिष्य रहे हैं। 1945 से 1966 तक आपने राजस्थान स्कूल … Read more
  • रणबीर सिंह बिष्ट | Ranbir Singh Bisht
    रणबीर सिंह बिष्ट का जन्म लैंसडाउन (गढ़बाल, उ० प्र०) में 1928 ई० में हुआ था। आरम्भिक शिक्षा गढ़वाल में ही प्राप्त करने के उपरान्त कला में विशेष रूचि होने के कारण उन्होंने लखनऊ कला विद्यालय में प्रवेश ले … Read more
  • नन्दलाल बसु | Nandlal Basu
    श्री अवनीन्द्रनाथ ठाकुर की शिष्य मण्डली के प्रमुख साधक नन्दलाल बसु थे ये कलाकार और विचारक दोनों थे। उनके व्यक्तित्व में कलाकार और तपस्वी का अद्भुत सम्मिश्रण था चिन्तन के क्षणों में उन्होंने जो कुछ कहा या लिखा … Read more
  • ललित मोहन सेन | Lalit Mohan Sen
    ललित मोहन सेन का जन्म 1898 में पश्चिमी बंगाल के नादिया जिले के शान्तिपुर नगर में हुआ था ग्यारह वर्ष की आयु में वे लखनऊ आये और क्वीन्स हाई स्कूल में प्रवेश लिया शान्तिपुर के अपने बचपन के … Read more
  • सुधीर रंजन खास्तगीर | Sudhir Ranjan Khastgir
    सुधीर रंजन खास्तगीर का जन्म 24 सितम्बर 1907 को कलकत्ता में हुआ था। उनके पिता श्री सत्यरंजन खास्तगीर छत्ताग्राम (आधुनिक चटगाँव) के निवासी थे और कलकत्ता में इंजीनियर थे।  सुधीर जब छः वर्ष के थे, उनके पिता का … Read more
  • मनीषी दे | Manishi De
    दे जन्मजात चित्रकार थे। एक कलात्मक परिवार में उनका जन्म हुआ था। मनीषी दे का पालन-पोषण रवीन्द्रनाथ ठाकुर की. देख-रेख में हुआ था। उनके बड़े भाई मुकुल दे और बहन रानी चन्दा बचपन के साथी थे और दोनों … Read more
  • नीरद मजूमदार | Nirad Majumdaar
    नीरद (अथवा बंगला उच्चारण में नीरोद) को नीरद (1916-1982) चौधरी के नाम से भी लोग जानते हैं। उनकी कला में प्राचीन भारतीय विचारधारा तथा देवी-देवताओं की आकृतियों का प्रयोग नये संयोजनों में हुआ है। प्रो०ए०एल०वाशम का विचार है … Read more
  • कनु देसाई | Kanu Desai
    (1907) गुजरात के विख्यात कलाकार कनु देसाई का जन्म – 1907 ई० में हुआ था। आपकी कला शिक्षा शान्ति निकेतन में हुई और आपको नन्दलाल बसु के शिष्य होने का सुअवसर प्राप्त हुआ। वहाँ अध्ययन करने के उपरान्त … Read more
  • रामकिंकर वैज | Ramkinkar Vaij
    शान्तिनिकेतन में “किकर दा” के नाम से प्रसिद्ध रामकिंकर का जन्म बांकुड़ा के निकट जुग्गीपाड़ा में हुआ था। बाँकुडा में उनकी आरम्भिक शिक्षा हुई।  सन् 1925 में माडर्न रिव्यू के संस्थापक रामानन्द चटर्जी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना … Read more
  • मिश्रित यूरोपीय पद्धति के राजस्थानी चित्रकार | Rajasthani Painters of Mixed European Style
    इस समय यूरोपीय कला से राजस्थान भी प्रभावित हुआ। 1851 में विलियम कारपेण्टर तथा 1855 में एफ०सी० लेविस ने राजस्थान को प्रभावित किया जिसके कारण छाया-प्रकाश युक्त यथार्थवादी व्यक्ति-चित्रण मेवाड में 1855 ई० से ही आरम्भ हो गया।  डा० सी० एस० वेलेण्टाइन … Read more
  • शारदाचरण उकील | Sharadacharan Ukil
    श्री उकील का जन्म बिक्रमपुर (अब बांगला देश) में हुआ था। आप अवनीन्द्रनाथ ठाकुर के प्रमुख शिष्यों में से थे। उकील का परिवार बंगाल का एक कला दक्ष परिवार था। इसमें तीन भाई थे।  बड़े शारदाचरण विख्यात चित्रकार … Read more
  • के० वेंकटप्पा | K. Venkatappa
    आप अवनीन्द्रनाथ ठाकुर के आरम्भिक शिष्यों में से थे। आपके पूर्वज विजयनगर के दरबारी चित्रकार थे विजय नगर के पतन के पश्चात् आप मैसूर राज्य में आ बसे थे आरम्भ (1902-8) में आपने मैसूर कला विद्यालय में शिक्षा … Read more
  • विनोद बिहारी मुखर्जी | Vinod Bihari Mukherjee Biography
    मुखर्जी महाशय (1904-1980) का जन्म बंगाल में बहेला नामक स्थान पर हुआ था। आपकी आरम्भिक शिक्षा स्थानीय पाठशाला में हुई और अस्वस्थता के कारण आपके अध्ययन में अवरोध भी आया। 1917 में आप शान्ति निकेतन पहुँचे और 1919 … Read more
  • हेमन्त मिश्र (1917)
    असम के चित्रकार हेमन्त मिश्र एक मौन साधक हैं। वे कम बोलते हैं। वेश-भूषा से क्रान्तिकारी लगते है अपने रेखा-चित्रों में वे अपने मन की बेचैनी को प्रकट करना चाहते हैं, अपनी कृतियों को विद्रोही, हिंसक रूप देना … Read more
  • अब्दुर्रहमान चुगताई (1897-1975) 
    वंश परम्परा से ईरानी और जन्म से भारतीय श्री मुहम्मद अब्दुर्रहमान चुगताई अवनीन्द्रनाथ ठाकुर के ही एक प्रतिभावान् शिष्य थे जिन्हें बंगाल शैली का प्रचार करने के लिये श्री समरेन्द्रनाथ गुप्त था।  वे के पश्चात् मेयो स्कूल आफ … Read more
  • देवी प्रसाद राय चौधरी | Devi Prasad Raychaudhari
    देवी प्रसाद रायचौधुरी का जन्म 1899 ई० में पू० बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) में रंगपुर जिले के ताजहाट नामक ग्राम में एक जमीदार परिवार में हुआ था।  इनका बचपन ताजहाट में ही व्यतीत हुआ। कुछ समय पश्चात् इन्होंने कलकत्ता … Read more
  • क्षितीन्द्रनाथ मजुमदार | Kshitindranath Majumdar
    क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार का जन्म 1891 ई० में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में निमतीता नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता श्री केदारनाथ मजूमदार जगताई में सब-रजिस्ट्रार थे।  क्षितीन बाबू जब केवल एक वर्ष के थे तभी उनकी … Read more
  • क्षितीन्द्रनाथ मजुमदार के चित्र | Paintings of Kshitindranath Majumdar
    1. गंगा का जन्म (शिव)- (कागज, 12 x 18 इंच ) 2. मीराबाई की मृत्यु – ( कागज, 12 x 18 इंच ) 3. बुद्ध और सुजाता – ( पेपर, 12 x 18 इंच ) 4. साधु हरिदास … Read more
  • असित कुमार हाल्दार | Asit Kumar Haldar
    श्री असित कुमार हाल्दार में काव्य तथा चित्रकारी दोनों ललित कलाओं का सुन्दर संयोग मिलता है। श्री हाल्दार का जन्म 10 सितम्बर 1890 को द्वारिकानाथ टैगौर मार्ग कलकत्ता में हुआ था। बचपन से उनका झुकाव चित्रकला की ओर … Read more
  • ठाकुर परिवार | ठाकुर शैली
    1857 की असफल क्रान्ति के पश्चात् अंग्रेजों ने भारत में हर प्रकार से अपने शासन को दृढ़ बनाने का प्रयत्न किया, किन्तु बीसवीं शती के आरम्भ होते-होते स्वतन्त्रता आन्दोलन पुनः जोर पकड़ने लगा इण्डियन नेशनल कॉंग्रेस की स्थापना … Read more
  • अवनीन्द्रनाथ ठाकुर
    आधुनिक भारतीय चित्रकला आन्दोलन के प्रथम वैतालिक श्री अवनीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म जोडासको नामक स्थान पर सन् 1871 में जन्माष्टमी के दिन हुआ था। आपका पूरा परिवार ही कलात्मक रुचि का था। घर में देश-विदेश के बड़े कलाकार … Read more
  • कला के क्षेत्र में किये जाने वाले सरकारी प्रयास | Government efforts made by the British in the field of art
    सन् 1857 की क्रान्ति के असफल हो जाने से अंग्रेजों की शक्ति बढ़ गयी और भारत के अधिकांश भागों पर ब्रिटिश शासन थोप दिया गया। भारत की अनेक संस्थाओं को भी अंग्रेजों ने अपने हाथों में ले लिया।  … Read more
  • बंगाल का आरम्भिक तैल चित्रण | Early Oil Painting in Bengal
    अठारहवीं शती में बंगाल में जो तैल चित्रण हुआ उसे “डच बंगाल शैली” कहा जाता है। इससे स्पष्ट है कि यह माध् यम डच कलाकारों से बंगला कलाकारों ने सीखा था। आरम्भ में यह चिनसुरा, चन्द्र नगर तथा … Read more
  • कम्पनी शैली | पटना शैली | Compony School Paintings
    अठारहवी शती के मुगल शैली के चित्रकारों पर उपरोक्त ब्रिटिश चित्रकारों की कला का बहुत प्रभाव पड़ा। उनकी कला में यूरोपीय तत्वों का बहुत अधिक मिश्रण हो गया और इस प्रकार जो नयी शैली विकसित हुई उसे कम्पनी शैली … Read more
  • पट चित्रकला | पटुआ कला क्या है
    लोककला के दो रूप है, एक प्रतिदिन के प्रयोग से सम्बन्धित और दूसरा उत्सवों से सम्बन्धित पहले में सरलता है; दूसरे में आलंकारिकता दिखाया तथा शास्त्रीय नियमों के अनुकरण की प्रवृति है। पटुआ कला प्रथम प्रकार की है।
  • काँच पर चित्रण | Glass Painting
    अठारहवीं शती उत्तरार्द्ध में पूर्वी देशों की कला में अनेक पश्चिमी प्रभाव आये। यूरोपवासी समुद्री मार्गों से खूब व्यापार कर रहे थे। डचों, पुर्तगालियों, फ्रांसीसियों तथा अंग्रेज व्यापारियों ने भारतीय सागर तटों पर अपनी बस्तियाँ स्थापित कर ली … Read more
  • आधुनिक भारतीय चित्रकला की पृष्ठभूमि | Aadhunik Bharatiya Chitrakala Ki Prshthabhoomi
    आधुनिक भारतीय चित्रकला का इतिहास एक उलझनपूर्ण किन्तु विकासशील कला का इतिहास है। इसके आरम्भिक सूत्र इस देश के इतिहास तथा भौगोलिक परिस्थितियों से जुड़े हुए हैं। विस्तारवादी, साम्राज्यवादी, बर्बर और लालची विदेशी शक्तियों ने इसे बार-बार आक्रान्त किया; अतः एक … Read more
  • Gopal Ghosh Biography | गोपाल घोष (1913-1980)
    आधुनिक भारतीय कलाकारों में रोमाण्टिक के रूप में प्रतिष्ठित कलाकार गोपाल घोष का जन्म 1913 में कलकत्ता में हुआ था। उनके पिता स्वयं एक अच्छे कलाकार थे अतः बचपन से ही गोपाल को अच्छे संस्कार प्राप्त हुए कलागुरु … Read more
  • कलकत्ता ग्रुप
    1940 के लगभग से कलकत्ता में भी पश्चिम से प्रभावित नवीन प्रवृत्तियों का उद्भव हुआ । 1943 में प्रदोष दास गुप्ता के प्रयत्नों से कलाकारों के कलकत्ता ग्रुप का उदय हुआ जिसमें गोपाल घोष, प्राण कृष्णपाल, सुनीलमाधव सेन, … Read more
  • पटना शैली
    उथल-पुथल के इस अनिश्चित वातावरण में दिल्ली से कुछ मुगल शैली के चित्रकारों के परिवार आश्रय की खोज में भटकते हुए पटना (बिहार) तथा कलकत्ता (बंगाल) में जा बसे यहाँ पर इन चित्रकार परिवारों ने एक विशिष्ट शैली … Read more
  • मैसूर शैली
    दक्षिण के एक दूसरे हिन्दू राज्य मैसूर में एक मित्र प्रकार की कला शैली का विकास हुआ। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में मैसूर की चित्रकला राजा कृष्णराज के संरक्षण में अत्यधिक उन्नति को प्राप्त हुई।  राजा कृष्ण राज … Read more
  • तंजौर शैली
    तंजोर के चित्रकारों की शाखा के विषय में ऐसा अनुमान किया जाता है कि यहाँ चित्रकार राजस्थानी राज्यों से आये इन चित्रकारों को राजा सारभोजी ने अट्ठारहवीं शताब्दी के अंत में आश्रय प्रदान किया।  ये चित्रकार हिन्दू थे … Read more
  • अभिव्यंजनावाद | भारतीय अभिव्यंजनावाद | Indian Expressionism
    यूरोप में बीसवीं शती का एक प्रमुख कला आन्दोलन “अभिव्यंजनावाद” के रूप में 1905-06 के लगभग उदय हुआ । इसका प्रधान प्रयोक्ता जर्मन कलाकार एडवर्ड मुंक था।  लगभग उसी समय अभिव्यंजनावादी प्रवृत्ति फ्रांस में भी ‘फॉववाद’ के नाम … Read more
  • बसोहली की चित्रकला
    बसोहली की स्थिति बसोहली राज्य के अन्तर्गत ७४ ग्राम थे जो आज जसरौटा जिले की बसोहली तहसील के अन्तर्गत आते हैं। जसरीटा जिला जम्मू की सीमा में है। अतः बसोहली आज जम्मू तथा कश्मीर राज्य के अन्तर्गत है। … Read more
  • रेखा क्या है | रेखा की परिभाषा
    रखा वो बिन्दुओं या दो सीमाओं के बीच की दूरी है, जो बहुत सूक्ष्म होती है और गति की दिशा निर्देश करती है लेकिन कलापक्ष के अन्तर्गत रेखा का प्रतीकात्मक महत्व है और यह रूप की अभिव्यक्ति व प्रवाह को अंकित करती है।
  • टीजीटी / पीजीटी कला से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न | Important questions related to TGT/PGT Arts
    सांझी कला किस पर की जाती है ? उत्तर: (B) भूमि पर ‘चाँद को देखकर भौंकता हुआ कुत्ता’ किस चित्रकार की कृति है ? उत्तर: (C) जॉन मीरो ‘घास का ढेर’ चित्रमालिका चित्रित करने वाले कलाकार का नाम … Read more
  • राजस्थानी चित्र शैली की विशेषतायें  | Rajasthani Painting Style
    राजस्थान एक वृहद क्षेत्र है जो “अवोड ऑफ प्रिंसेज” माना जाता है इसके पश्चिम में बीकानेर, दक्षिण में बूँदी, कोटा तथा उदयपुर उत्तर में जयपुर तथा मध्य में जोधपुर है। यहाँ के निवासी हूण, गुर्जर, परिहार तथा मध्य एशिया की … Read more

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