---Advertisement---

ए० रामचन्द्रन | A. Ramachandran

By admin

Published on:

Follow Us

रामचन्द्रन का जन्म केरल में हुआ था। वे आकाशवाणी पर गायन के कार्यक्रम में भाग लेते थे। कुछ समय पश्चात् ...

---Advertisement---

रामचन्द्रन का जन्म केरल में हुआ था। वे आकाशवाणी पर गायन के कार्यक्रम में भाग लेते थे। कुछ समय पश्चात् उन्होंने केरल विश्व विद्यालय से मलयालम में एम० ए० उत्तीर्ण किया। 

फिर चित्रकला में रुचि के कारण आप शान्ति निकेतन चले गये और वहाँ से 1961 में चित्रकला की डिप्लोमा परीक्षा उत्तीर्ण की। 

इस अवधि में 1960 में दिल्ली में उन्होंने अपनी प्रथम एकल प्रदर्शनी आयोजित की शान्ति निकेतन से लौटकर केरल के भित्तिचित्रों पर एक शोध- परियोजना के अन्तगर्त कार्य किया। 

इसके उपरान्त देश-विदेश में आपने अनेक प्रदर्शनियों आयोजित की तथा दिल्ली में दो भित्ति चित्र भी अंकित किये। वे बच्चों की पुस्तकें भी लिखते तथा चित्रित करते रहते हैं। 

आपने डाक विभाग की अनेक टिकटों को भी डिजाइन किया है और उन पर आपको पुरस्कार भी मिले हैं। आपने इंग्लैण्ड, रूस तथा जापान की यात्राएँ भी कला-प्रदर्शनियों के सिलसिले में की हैं। 

इस समय आप जामिया इस्लामिया दिल्ली में कला-विभाग के अध्यक्ष हैं। आप प्रायः बड़े आकार के केनवासों पर कार्य करना पसन्द करते हैं। 

पहले आप हाड-मांस के पंजर का प्रभाव देने वाली आकृतियाँ विशेष रूप से बनाते थे। इनमें विकृति के द्वारा अभिव्यंजनावादी पद्धति का सहारा लिया गया है। 

आईकोनोग्राफी, द ग्रेव डिगर्स तथा . एनटाम्बमेण्ट उनके इस प्रकार के प्रमुख चित्र हैं। ये वर्तमान युग के मानव की विनाशोन्मुख प्रवृत्ति को व्यंजित करते हैं। 

‘आईकोनोग्राफी’ रेखांकन अधिक है, रंगों का कोई तात्पर्य नहीं है। ‘श्रेय डिगर्स’ में कब्र में पड़ी लाश का तो चेहरा है पर कब्र खेदने वालों के केवल शरीर है, शिर नहीं है: यहाँ तक कि आकाश में देवदूत भी शिर-विहीन है; वह भी मनुष्य द्वारा मनुष्य की कब्र खोदने की क्रिया में सम्मिलित ।

ए० रामचन्द्रन ने जो म्यूरल (भित्तिचित्र) बनाये हैं उनमें ‘ययाति’ एक महाकाव्य से सम्बन्धित (एपिक म्यूरल) है जिसमें युवतियों के मांसल सौन्दर्य को आकर्षक रूपों में अंकित किया गया है। 

इस भित्तिचित्र के विषय में एक आलोचक ने लिखा है कि ययाति को रामचन्द्रन ने केवल सोचा ही नहीं हैं, बहु-पत्नी वाले एक बनजारे के अस्थायी निवास के सन्याकालीन वातावरण में देखा भी है। 

तकनीकी दृष्टि से रामचन्द्रन शरीर और उसकी बनावट, ढोंचे, पौरुष तथा धरातलों में रूचि लेते हैं इनकी कृतियों में आकार घनत्वों की भाँति अनुभव होते हैं, धरातल चोड़े तथा गहरे प्रतीत होते है और हल्के-गहरे रंगों से निर्मित शरीर का ढाँचा समृद्ध रंग दर्शाता है।

---Advertisement---

Leave a Comment