टामस तथा विलियम डेनियल भारत में 1785 से 1794 के मध्य रहे थे। उन्होंने कलकत्ता के शहरी दृश्य, ग्रामीण शिक्षक, धार्मिक उत्सव, नदियाँ, झरने तथा प्राचीन स्मारक चित्रित किये। श्रीनगर गढ़वाल में उन्होंने रस्सी के पुल का चित्रण किया।
दक्षिण में उन्होंने कन्याकुमारी के सागरीय दृश्य, दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मन्दिरों, गोपुरों, प्रपातों आदि के अनेक चित्र बनाये। पश्चिम भारत का भ्रमण कर उन्होंने ऐलौरा, ऐलीफेण्टा तथा अजन्ता आदि के स्थापत्य का भी चित्रण किया।
इन सभी स्थानों पर बनाये गये स्केच तथा चित्र छः खण्डों में विभाजित हैं:
- (1) ओरिएण्टल सीनरी
- (2) ट्वेन्टीफोर ब्यूज इन हिन्दुस्तान,
- (3) एण्टीक्विटीज आफ इण्डिया
- (4) हिन्दू एक्सकेवेशन्स इन माउन्टेन आफ ऐलौरा नीअर औरंगाबाद इन द डकन
- (5) ट्वेन्टी फोर लैण्डस्केप्स
- (6) ताजमहल आदि के चित्र
भारत में उस समय न तो रेल गाड़ी थी और न स्टीम से चलने वाली नाव। इन दोनों चित्रकारों ने साधारण नाव में बैठ कर ही नदी मार्गो से भारत की यात्रा की और चित्र बनाये। इनके पास एक तत्कालीन बाक्स कैमरा भी था।
कानपुर से इन्होंने मैदानी यात्रा पालकियों में की। इनके साथ दक्षिण की यात्रा में लगभग पचास सेवक थे, ग्यारह ग्यारह कहारों वाली दो पालकियाँ, दो घोड़े, एक बैलगाड़ी, तीन बोझा ढोने वाले साँड, सात आदमी सामान लेकर चलने वाले दो कुली, अर्दली, खजाँची, तम्बू गाढ़ने वाले तथा छोटे-छोटे काम करने के लिये एक मुसलमान बालक।
दोनों डेनियल चित्रकारों ने बड़े ही यथार्थतापूर्ण दृश्यों का अंकन किया है। इनका माध्यम प्रायः जल रंग थे। इन्होंने जल रंगों के Aquatint तकनीक का भारत में श्रीगणेश किया और उसे बंगाली चित्रकारों को भी सिखाया।
इंग्लैण्ड वापस लौटने पर वे भारतीय जीवन के चित्रण के विशेषज्ञ तो माने ही गये, उन्होंने ब्रिटिश भवन कला को भी प्रभावित किया उनके सहयोग से इंग्लैण्ड में कुछ ऐसे भवन भी बने जिन पर भारतीय स्थापत्य कला की छाप है। उनके चित्रों ने ब्रिटिश कला में संयोजन के रूपों को भी प्रभावित किया। 1837 ई० में भतीजे विलियम डेनियल की तथा 1840 में चाचा टामस डेनियल की मृत्यु हो गयी ।
डेनियल तथा अन्य ब्रिटिश चित्रकारों ने भारत में ब्रिटिश चित्रकला के प्रति जो रुचि उत्पन्न कर दी थी वह बहुत समय तक भारतीय कला को प्रभावित करती रही। विशेषतः आधुनिक भारतीय चित्रकला में विशुद्ध दृश्य-चित्रण तथा यूरोपीय पद्धति के तैल माध्यम में व्यक्ति चित्रण की दृष्टि से इन चित्रकारों ने जो आधार बनाया उसी का भारतीय चित्रकारों ने आगे विकास ArArt t किया।
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