आप भी गुजरात के एक प्रसिद्ध चित्रकार हैं आरम्भ में घर पर कला का अभ्यास करके आपने श्री रावल की प्रेरणा से बम्बई के सर जे० जे० स्कूल में प्रवेश लिया। कुछ समय पश्चात आपने बड़ौदा के कला भवन में प्रवेश लिया किन्तु उसे भी छोड़ दिया और अवनी बाबू के शिष्य बने यहां के वातावरण और कार्य प्रणाली को आपने आपने अनुकूल पाया।
आपके ‘नववधू’ नामक चित्र को देखकर अवनी बाबू मंत्र-मुग्ध हो गये थे। अवनी बाबू के अतिरिक्त आप पर गगनेन्द्रनाथ ठाकुर तथा क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार का भी प्रभाव पड़ा ।
आपकी रंग योजना में तड़क-भडक नहीं है। सौम्यता और शान्ति आपका विशेष गुण है । जीवन के प्रेरक पक्षों, निर्दोष और रम्य प्रसंगों तथा भाव- मधुर दृश्यों का अंकन आपको प्रिय है ।