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क्या आप जानते हैं ?एलोरा की गुफाएं क्यों प्रसिद्ध है?
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एलोरा भारतीय पाषाण शिल्प स्थापत्य कला का सार है, यहाँ 34 "गुफ़ाएँ" हैं
दुर्गम पहाड़ियों वाली एलोरा गुफाएं 600 से 1000 ईसवी के काल की है
यह प्राचीन भारतीय सभ्यता का जीवन्त प्रदर्शन करता है।
बौद्ध, हिन्दू और जैन धर्म को भी समर्पित पवित्र स्थान एलोरा परिसर न केवल अद्वितीय कलात्मक सृजन और एक तकनीकी उत्कृष्टता है,
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बल्कि यह प्राचीन भारत के धैर्यवान चरित्र की व्याख्या भी करता है।
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इसमें हिन्दू, बौद्ध और जैन गुफा मन्दिर बने हैं।
अपनी स्मारक गुफाओं के लिए प्रसिद्ध, एलोरा युनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर स्थल है।
इन्हें राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था।
इन्हें ऊँची बेसाल्ट की खड़ी चट्टानों की दीवारों को काट कर बनाया गया हैं।
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ये पाँचवीं से दसवीं शताब्दी में बने थे।
यहाँ 12 बौद्ध गुफाएँ (1-12), 17 हिन्दू गुफाएँ (13-29) और 5 जैन गुफाएँ (30-34) हैं।
इसका निर्माण ऊपर से नीचे की ओर किया गया है।
एलोरा की ये गुफाएं अपने निर्माण काल के धार्मिक सौहार्द को दर्शाती हैं।
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एलोरा के 34 मठ और मंदिर छत्रपती संभाजीनगर के निकट 2 कि॰मि॰ के क्षेत्र में फैले हैं
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