1. सिंधु सभ्यता की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी ने की।
3. यह सभ्यता त्रिभुजाकार क्षेत्र में फैली हुई थी तथा इसका क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किमी. था।
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2. यहां से प्राप्त बर्तनों पर मानव आकृतियां भी प्राप्त हुई हैं।
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4. 1826 ई. में सर्वप्रथम चाल्स मर्सन को हड़प्पा से बड़ी संख्या में ईंटें प्राप्त हुई थी।
5. हड़प्पा से एक दर्पण प्राप्त हुआ है , जो तांबे का बना है।
6. हड़प्पा से प्राप्त मुहरों पर एक श्रृंगी पशु का अंकन सर्वाधिक मिलता है।
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7. सिंधु वासी पशुपति की पूजा करते थे।
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8.हड़प्पा काल में मातृ देवियों की प्रधानता थी।
9.सिंधु सभ्यता की सर्वोत्तम कलाकृतियां वहां से प्राप्त मुहरें हैं।
10.1856 ई. में करांची और लाहौर के बीच रेल मार्ग बनाने के लिए ईंटों की आवश्यकता हुई , परिणामस्वरूप हड़प्पा के खंडहर की खुदाई की गई। खुदाई करते समय ही यहां एक प्राचीनतम स्थल होने का आभास हुआ।
11.सिंधु सभ्यता की लिपि चित्र प्रधान लिपि थी। इस लिपि में लगभग 400 वर्ण हैं।
12. हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा और राखीगढ़ी इसके प्रमुख केन्द्र थे।
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13. शोधकर्ता ने इसके अलावा हड़प्पा सभ्यता से 1,0000 वर्ष पूर्व की सभ्यता के प्रमाण भी खोज निकाले हैं। दिसम्बर 2014 में भिरड़ाना को सिन्धु घाटी सभ्यता का अब तक का खोजा गया सबसे प्राचीन नगर माना गया है।
14. वैज्ञानिकों ने भिर्राना की एकदम नई जगह पर खुदाई की और इसमें जानवरों की हड्डियां, गायों के सिंग, बकरियों, हिरण और चिंकारे के अवशेष मिले.
15. नए शोध से यह पता चला कि यह सभ्यता 8,000 वर्ष पुरानी है।
16. मोहनजोदड़ो में अनाज भण्डारण के लिए ‘कोष्ठागार’ अथवा कोठार बना हुआ था।
17. सैन्धव युगीन सभ्यता के लोग पकाई गई मिट्टी के रंगे हुए बर्तनों का प्रयोग करते थे
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18. यहाँ से 22 हजार से अधिक मुहरें, मृण्मूर्तियाँ, स्टेटाइट तथा प्रस्तर स्तम्भ तथा अत्यन्त छोटे आकार के स्वर्ण मनके प्राप्त हुए हैं।
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20. इसके अतिरिक्त बकरा, मछली, पत्तियाँ, पेड़-पौधे, उड़ती चिड़िया, तारे, रश्मिमाला युक्त मण्डल, लहरियाँ आदि उल्लेखनीय हैं।
19. शव पात्रों के चित्रण में विशेषतः मयूर का चिन्ह चित्रित किया गया जाता था।
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21. सिन्धु घाटी सभ्यता की सर्वोत्तम प्रतिमाओं में मोहनजोदडो से प्राप्त सेलखड़ी से निर्मित दाढी युक्त पुरुषाकृति है।