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भारत की मोना लीसा कही जाने वाली ये महिला और पेंटिंग किसकी है?

बनी-ठनी पेंटिंग राजस्थानी कला की एक प्रमुख देन है.

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इस पेंटिंग का नाम बनी-ठनी है

1.

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राजस्थान की चित्रकला में किशनगढ़ शैली का विशिष्ट स्थान है।

किशनगढ़ चित्रशैली को उत्कृष्ट स्वरूप प्रदान करने का श्रेय तीन व्यक्तियों को है-

1.प्रथम कवि, चित्रकार, भक्त और कलाप्रेमी राजा सावन्तसिंह

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2. सावन्तसिंह का आश्रित चित्रकार मोरध्वज निहालचन्द

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3. तीसरा और सबसे  अहम् बनी-ठनी को

बनी-ठनी महाराजा सावंत सिंह की प्रेयसी थीं

महाराजा सावन्तसिंह ने

ननागरी दास के नाम से अनेकों रचनाएँ की.

नागरीदास की कविताओं को आधार बनाकर बनी-ठनी के रूप सौन्दर्य को चित्रित करने का श्रेय ‘निहालचन्द’ को है।

किशनगढ़ चित्रशैली के चित्रकारों ने बनी-ठनी को राधा के प्रतीक के रूप में भी चित्रित किया है

3.

बनी-ठनी को एरिक  डिकिन्सन ने भारत की मोना लीसा कहा है।

भारत सरकार के द्वारा बनी-ठनी डाक टिकिट 5 मई 1973 को जारी किया था, जिससे यह पूरे देशभर में प्रसिद्घ हो गई।

नागरीदास ने अपनी प्रेयसी बनी-ठनी के अपूर्व प्रेम में प्रेरित होकर अनेक चित्र और आकृतियों का निर्माण करवाया था।

बनी ठनी राजा सावन सिंह के दासी और प्रेमिका थी

महाराजा सावंत सिंह को किशनगढ़ शैली में कृष्ण और बनी ठनी को राधा के रूप में प्रेमालाप करते हुये सुंदर चित्रण किया गया है।

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बनी ठनी एक गायिका थी। वह उच्च कोटि की कवियत्री भी थी । एक दासी थी जो राजा के दरबार में रहती थी। वह कृष्ण की भक्त थी। बनी ठनी का मतलब होता है सजी-धजी।

बनी-ठनी की पेंटिंग राष्ट्रीय पुरातात्विक संग्रहालय, नई दिल्ली में  है.

इसी तरह की कला से जुडी जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट पर भी जा सकते है.